पिघलता हिमालय से प्रकाशित पुस्तकें
अपनी मातृबोली कुमाउनी से उप्रेती जी को बहुत लगाव था। वे प्रायः गंगावली क्षेत्र की मधुर कुमाउनी में ही बातें किया करते थे। उन्होंने समय-समय पर कुछ कुमाउनी रचनायें भी की। इनमें कवितायें हैं, कहानियाँ हैं, आलेख-निबन्ध भी हैं। ‘भौत हैगै हो उगार कटै’ एक ऐसा संग्रह है, जिसमें उप्रेती जी की रचनाओं को संकलित किया गया है। उनके सुपुत्र पंकज जी ने इस संकलन में अपने परिवार से सम्बन्धित वंशावली भी दिया है। पिता स्व.आनन्द, बड़बाज्यू स्व.राधाबल्लभ जी के कुमाउनी भाषा में लिखे गये पत्रा हैं, साथ में कुछ अन्य लोगों के पत्र भी हैं। विख्यात भाषाविद् डाॅ. हेमचन्द्र जोशी के दो पत्र भी हैं जो कुमाउनी भाषा में हैं। इन पत्रों के अध्ययन से स्व.आनन्द जी और उनके परिजनों के सम्बन्ध में अनेक महत्वपूर्ण बातों का पता चलता है।
.............................स्व.आनन्द बल्लभ उप्रेती जी का यह कुमाउंनी संकलन अनेक दृष्टियों से पठनीय-स्मरणीय है।
-मथुरादत्त मठपाल
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