‘पिघलता हिमालय’ का जन्म 1978 को हुआ। स्व.आनन्द बल्लभ उप्रेती व स्व.दुर्गा सिंह मर्तोलिया इसके संस्थापक हैं। स्व.आनन्द बल्लभ उप्रेती संस्थापक के साथ ही इसके प्रथम सम्पादक रहे जिन्होंने पत्रकारिता के मिशन के साथ इसे सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन का रूप दिया। यह मात्र समाचार पत्र न होकर घर की पाती भी है। यह एक आन्दोलन है। ऐसा आन्दोलन जो अपनों को अपनी जड़ों से जोड़ता है और उन्हें उनके घर-गांव के हालचाल से अवगत कराता है।
‘पिघलता हिमालय’ परिवार का मानना है- हिमालय की पिघलन ने सदियों से जीवन दिया है और यह हमारी सभ्यताओं को समझने का माध्यम है। हिमालय की पिघलन तो हमें जीवन देती है लेकिन समाज की पिघलन उन्नति करे, हमारा संकल्प है। ‘पिघलता हिमालय’ सीमान्त क्षेत्र का प्रतिनिधि समाचार पत्र के रूप में जाना जाता है। सीमान्त की घाटियों में रहने वाले तमाम परिवार इसे हृदय से मानते हैं।
पत्रकारिता के मिशन के साथ ही अपनेपन से जुड़ने के लिये ‘पिघलता हिमालय’ के सहयोगी के रूप में जुड़ने का आह्वान करते हैं।